वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे अरसे के बाद अपने निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी के दो दिनों के दौरे पर हैंविदेश दौरों व घरेलू मोर्चे पर काफी व्यस्त रहने वाले मोदी की यह यात्रा छह महीने से अधिक समय के बाद हुई है. मोदी चार एवं पांच मार्च को पिछली बार वाराणसी के दौरे पर तब थे, जब उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव अंतिम दौर में पहुंच चुका था और भाजपा की जीत को 100 फीसदी पक्का करने के लिए उन्होंने बनारस में कैंप किया था. प्रचंड बहुमत से भाजपा की जीत के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार बने छह महीने से अधिक वक्त गुजर गये हैं और मुख्यमंत्री द्वारा अपना रिपोर्ट कार्ड पेश किये जाने के कुछ ही दिनों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के लिए वाराणसी पहुंचे हैं. प्रधानमंत्री का यह दौरा तब हो रहा है, जब सरकार आर्थिक मोर्चे पर मुश्किलों से दो-चार है और इकोनॉमी में जान फूंकने सरकार आर्थिक पैकेज देने की तैयारी में है. नोटबंदी के कारण अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचने की बात कह कर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह सरकार की आलोचना कर रहे हैं. आर्थिक जानकार मौजूदा तौर की तुलना यूपीए द्वारा आर्थिक मोर्चे पर की गयी कुछ भूलों से कर रहे हैं, जिन्होंने उनकी चुनावी संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया था.
नरेंद्र मोदी मंझे राजनेता हैं और वे अपनी छवि न सिर्फ बनाये रखना बल्कि उसे निरंतर गढ़ना भी जानते हैं. वाराणसी में कल से लेकर आज तक उनके द्वारा सार्वजनिक मंच से दिये गये कुछ बयानों पर गौर करें : बयान 1. पहले की सरकार को लगता है विकास से नफरत थी, बयान 2 . पहले की सरकारें सिर्फ वोट के लिए शिलान्यास करती थीं, हम जिस योजना का शिलान्यास करते हैं, उसका उदघाटन भी खुद करते हैं, बयान 3. हम अलग संस्कार में पले-बढ़े लोग हैं, हमारे लिए देश पहले है वोट नहीं, बयान 4. यह मुश्किल काम मोदी नहीं करेगा तो कौन करेगा? बयान 5. उन्हाेंने वाराणसी और बड़ौदा दोनों जगह से लोकसभा चुनाव जीतने पर बड़ौदा छोड़ने का कारण बताया, कहा - वहां के विकास के लिए बहुत सारे लोग हैं और मुझे महसूस हुआ कि यहां के लिए काम करूं.
इन बयानों के संकेतों को समझिए. मोदी के निशाने पर विरोधी राजनीतिक पार्टियां हैं और उनका स्पष्ट कहना है कि वे सिर्फ वोट के लिए कदम उठाते थे, लेकिन उसे लागू करने में उनमें गंभीरता नहीं थी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे नरेंद्र मोदी अपने संस्कार की दुहाई देकर अप्रत्यक्ष रूप से दूसरों पर सवाल उठाते हैं और फिर यह कह कर कि - इस मुश्किल काम को मोदी नहीं करेगा तो कौन करेगा - वे अपने विरोधियों की क्षमता पर सवाल उठाते हैं. पांचवां बयान देकर वे उत्तरप्रदेश और पिछड़े हिंदी पट्टी के विकास के लिए अपना समर्पण जताते हैं.साभार - प्रभात खबर



No comments:
Post a Comment