मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने सोमवार को कहा कि सिद्धान्तिक रूप से वह इस बात से सहमत है की लोकसभा और बिधानसभा का चुनाव देश में एक साथ होना चाहिए | पहले भी लोकसभाऔर बिधानसभा के चुनाव एक साथ हुआ करते थे |अलग - अलग चुनाव तो 1967 से आरंभ हुआ |नीतीश का कहना है कि हर चुनाव अलग-अलग होने से राज्यों के विकास पर प्रतिकूल असर पड़ता है. उन्होंने कहा कि हर साल होने वाले चुनावों से अधिकारियों का ध्यान भी चुनावी कार्य में व्यस्तता से उनके नियमित काम पर कम हो जाता है.
इसके अलावा चुनाव आचारसंहिता के कारण सारे विकास के काम ठप पड़ जाते हैं, लेकिन नीतीश ने कहा कि उनके समर्थन का यह मतलब नहीं लगाया जाना चाहिए कि बिहार में आने वाले लोकसभा के साथ चुनाव कराए जाएंगे. इस संबंध में सारी अटकलों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है.
इससे पूर्व पार्टी की बिहार इकाई के अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का समर्थन किया था. उन्होंने लगा था कि जो भी संशोधन केंद्र सरकार लाएगी पार्टी उसका खुलकर समर्थन करेगी, लेकिन आज नीतीश ने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर पूरे देश में बहस भी कराई जानी चाहिए.
इसके अलावा चुनाव आचारसंहिता के कारण सारे विकास के काम ठप पड़ जाते हैं, लेकिन नीतीश ने कहा कि उनके समर्थन का यह मतलब नहीं लगाया जाना चाहिए कि बिहार में आने वाले लोकसभा के साथ चुनाव कराए जाएंगे. इस संबंध में सारी अटकलों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि फिलहाल ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है.
इससे पूर्व पार्टी की बिहार इकाई के अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का समर्थन किया था. उन्होंने लगा था कि जो भी संशोधन केंद्र सरकार लाएगी पार्टी उसका खुलकर समर्थन करेगी, लेकिन आज नीतीश ने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर पूरे देश में बहस भी कराई जानी चाहिए.


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